वो कहाँ मिले वो कहीं मिले By Ghazal << घर छोड़ के भी घर ही के आज... क्यों अज़ल से कू-ए-मेहर-ओ... >> वो कहाँ मिले वो कहीं मिले वो मकाँ मिले वो मकीं मिले तू कि हादसों का गिला नहीं वो जहाँ मिला था वहीं मिले था शिआ'र दिल में तो दम-ब-दम जो मिलाए ख़ंदा-जबीं मिले वो नहीं मिलेगा तो क्या हुआ वो गली शहर वो ज़मीं मिले Share on: