वो कौन दिल है जहाँ जल्वा-गर वो नूर नहीं इस आफ़्ताब का किस ज़र्रे में ज़ुहूर नहीं कोई शिताब ख़बर लो कि बे-नमक है बहार चमन के बीच दिवानों का अब के शोर नहीं तजल्लियों से पहुँचता है कब उसे आसेब सनम-कदा है न आख़िर ये कोह-ए-तूर नहीं तिरे सफ़र की ख़बर सुन के जान धड़कों से जो पहुँचूँ मर्ग के नज़दीक मैं तो दूर नहीं कोई भी देता है लड़कों के हाथ शीशा-ए-दिल 'यक़ीं' मैं ग़ौर से देखा तो कुछ शुऊ'र नहीं