वो कौन है फ़ुर्सत से मुझे याद करे है दिल ग़म से हो मामूर तो वो शाद करे है फिर दीजिए दीवाने की हिम्मत को ज़रा दाद वीराने का वीराना जो आबाद करे है सरमाया मोहब्बत का तिरी जिस ने है लूटा क्या देगा वो क्यों उस से तू फ़रियाद करे है टी वी के हसीं रूप में है कैसी तरक़्क़ी किरदार जवानों का जो बर्बाद करे है आएगी कभी सुब्ह-ए-सुकूँ-बख़्श यहाँ भी उम्मीद यही दर्द से आज़ाद करे है इक शान से करती हूँ गवारा उसे हर दिन जो तर्ज़-ए-सितम रोज़ वो ईजाद करे है वो जिस ने कभी ज़ख़्म खिलाए थे 'शगुफ़्ता' क्या सोच के फिर उस को ही तू याद करे है