वो मिरे ध्यान से निकल आया फूल गुल-दान से निकल आया उस ने सोचा था फ़ाएदा अपना और मैं नुक़सान से निकल आया इक सफ़र पाँव में पड़ा हुआ था एक सामान से निकल आया फिर किनारे भी आ गए नज़दीक जब मैं तूफ़ान से निकल आया साए को देख कर मुक़ाबिल में जिस्म मैदान से निकल आया आइना शिर्क कर रहा था 'अज़ीज़' मैं तो ईमान से निकल आया