वो नज़र मेहरबान क्या होगी दिल की दुनिया जवान क्या होगी सुनने वाला ही जब नहीं कोई दास्ताँ फिर बयान क्या होगी हैं जो परवर्दा-ए-ख़िज़ाँ यारो इन बहारों में जान क्या होगी जो सर-ए-शाम ही बिखर जाए ऐसी महफ़िल जवान क्या होगी जो पले पस्तियों के साथ 'ख़लिश' उन की ऊँची उड़ान क्या होगी