वो निगह दिल पे पड़ी दाग़ जिगर के होते दिखाई तलवार सदा अफ़्सोस सिपर के होते का'बा-ओ-दैर को अपना तो यहीं से है सलाम दर-ब-दर कौन फिरे यार के दर के होते तेरी आँखों के तसव्वुर में है सैर-ए-कौनैन वर्ना हम लोग इधर के न इधर के होते हम को 'मारूफ़' अगर शेर सवारी देता तो भी पा-बोस-ए-सग-ए-यार उतर के होते