वो यूँ खो के मुझे पाया करेंगे मिरा अफ़्साना दोहराया करेंगे सितम अपने जो याद आया करेंगे तो दिल ही दिल में पछताया करेंगे ग़ुरूर-ए-हुस्न को बातिल समझ कर सरापा इश्क़ बन जाया करेंगे न होगी ताब-ए-ज़ब्त-ए-ग़म जब उन को यक़ीनन अश्क भर लाया करेंगे क़यामत होंगी नाज़ुक दिल की आहें हर इक ज़र्रे को तड़पाया करेंगे फ़लक मातम करेगा बे-कसी पर मह-ओ-अंजुम तरस खाया करेंगे मुझे हर गाम पर ठुकराने वाले मुझी पर नाज़ फ़रमाया करेंगे न होगी जब सुकूँ की कोई सूरत कुछ अपने दिल को समझाया करेंगे हर इक तदबीर जब नाकाम होगी तो मुझ को रू-ब-रू पाया करेंगे निगाहों से मिला कर वो निगाहें यकायक रुख़ बदल जाया करेंगे वही नाज़-ओ-अदा की शक्ल होगी इसी सूरत से शरमाया करेंगे मैं कहता ही रहूँगा क़िस्सा-ए-ग़म वो सुनते सुनते सो जाया करेंगे मगर जब होगा आलम आलम-ए-ख़्वाब न पा कर मुझ को घबराया करेंगे 'शकील' अपने लिए लम्हात-ए-फ़ुर्सत पयाम-ए-नौ-ब-नौ लाया करेंगे