पीव के आने का वक़्त आया है जी के जाने का वक़्त आया है नीम-बिस्मिल हूँ तेग़-ए-अबरू सीं तिलमिलाने का वक़्त आया है शब-ए-ख़ल्वत में उस परी-रू कूँ दुख सुनाने का वक़्त आया है मुल्क-ए-वीरान कूँ मिरे दिल के फिर बसाने का वक़्त आया है कब तलक हिज्र की अगन में जलूँ आ बुझाने का वक़्त आया है पीव के ग़म में अनझो बहाता हूँ क्या बहाने का वक़्त आया है मिस्ल-ए-परवाना शम्अ-रू पे 'सिराज' दिल जलाने का वक़्त आया है