वा'दा-ए-वस्ल-ए-यार ने मारा लज़्ज़त-ए-इंतिज़ार ने मारा जल्वा-ए-गुल-एज़ार ने मारा एक जान-ए-बहार ने मारा पाएमाल-ए-ग़म-ए-हवादिस हूँ सितम-ए-रोज़गार ने मारा न खुला उक़्दा-ए-फ़रेब-ए-शुहूद दीदा-ए-ए'तिबार ने मारा दस्त-ए-जौर-ए-ख़िज़ाँ का क्या शिकवा मुझ को जोश-ए-बहार ने मारा जब्र और वो भी किस ग़ज़ब का जब्र तोहमत-ए-इख़्तियार ने मारा दे के 'फ़र्रुख़' मुझे पयाम-ए-वफ़ा इक तग़ाफ़ुल-शिआ'र ने मारा