वफ़ा के लुत्फ़ मोहब्बत के ख़्वाब माँगे है अजीब बात है साक़ी शराब माँगे है हमें सताए ये दुनिया तो कोई बात नहीं हमारी बात का दुनिया जवाब माँगे है निज़ाम-ए-कारगह-ए-ज़िंदगी मआ'ज़-अल्लाह हिसाब माँगे है और बे-हिसाब माँगे है वो चाहता है कि वो लफ़्ज़ मैं बयाँ कर दूँ फ़साना-ए-ग़म-ए-माज़ी किताब माँगे है ये ज़र्फ़-ए-कम-निगही और ये ज़ो'म-ए-दीदा-वरी ज़माना आज तुम्हें बे-नक़ाब माँगे है ग़रीब बाप की बाँहों में खेलता बच्चा कभी सितारे कभी आफ़्ताब माँगे है किसे किसे ग़म-ए-मंज़िल सुनाइए 'शादाँ' हर एक राह का पत्थर हिसाब माँगे है