बहुत बातें हुई हैं ताज़गी की ग़ज़ल की क़ाफ़िए की शाइरी की मेरी आँखों ने दिल से बात छेड़ी हुई चर्चा तुम्हारी सादगी की हसीं दुनिया में होंगे और भी पर अलग ही बात है तुझ सुरमई की तुझे छूने से भी कतरा रहा हूँ मोहब्बत है मेरी पाकीज़गी की अब इस के बाद बाक़ी क्या रहेगा तू मूरत आख़िरी है इस सदी की