वफ़ा को कहाँ बेवफ़ा जानता है हक़ीक़त है क्या आइना जानता है किसी को बताने से क्या होगा हासिल मिरा हाल मेरा ख़ुद जानता है कोई भी न बोला जो मैं ने ये पूछा कोई उस के घर का पता जानता है ज़रा इश्क़ करने से पहले समझ ले मोहब्बत का क्या फ़ल्सफ़ा जानता है अँधेरा बहुत और लम्बा सफ़र है है मंज़िल कहाँ रहनुमा जानता है 'नज़र' आँधियों में जो रौशन है अब तक दिया भी मिज़ाज-ए-हवा जानता है