वफ़ा से आश्ना कोई नहीं है अगरचे बेवफ़ा कोई नहीं है ख़ुदा है और तूफ़ाँ में सफ़ीना हमारा नाख़ुदा कोई नहीं है फ़सानों की तरफ़ माइल है दुनिया हक़ीक़त-आश्ना कोई नहीं है वहाँ तक इस बशर की है रसाई जहाँ तेरे सिवा कोई नहीं है बढ़ी जाती है अपनी धुन में दुनिया पलट कर देखता कोई नहीं है अभी गुलशन का है माहौल अच्छा अभी पत्ता हरा कोई नहीं है मोहब्बत ख़ुद दवा है ज़िंदगी की मोहब्बत की दवा कोई नहीं है जुनूँ की इब्तिदा है होश-मंदी जुनूँ की इंतिहा कोई नहीं है निगाहों की हदों में सिर्फ़ तू है नज़र में दूसरा कोई नहीं है वो कुछ भी हो 'लईक़' इंसाँ न होगा अगर उस से ख़फ़ा कोई नहीं है