वज्द में ज़ाबता-ए-रक़्स नहीं टूटेगा कुछ भी हो सिलसिला-ए-रक़्स नहीं टूटेगा आ गए ना'रा-ए-मस्ताना लगाने वाले अब कभी क़ाएदा-ए-रक़्स नहीं टूटेगा रक़्स-ए-दरवेश में दरवेश ही शामिल होंगे और कोई ज़ाविया-ए-रक़्स नहीं टूटेगा ख़िर्क़ा-पोशों से कहो आया है फिर मौसम-ए-रक़्स या'नी अब हौसला-ए-रक़्स नहीं टूटेगा कू-ए-जानाँ से हम आशुफ़्ता-मिज़ाजों का कभी साथियो राब्ता-ए-रक़्स नहीं टूटेगा रक़्स-ए-दरवेश है ये ग़म्ज़ा-ए-रक़्क़ास नहीं दोस्तो दायरा-ए-रक़्स नहीं टूटेगा दिल की पाज़ेब की झंकार में खो भी जाओ ज़िंदगी भर नशा-ए-रक़्स नहीं टूटेगा 'हाशमी' रक़्स वो आग़ाज़ किया है हम ने अब कभी सिलसिला-ए-रक़्स नहीं टूटेगा