वक़्त-ए-रुख़्सत जो आँख भर आई दिल में तस्वीर सी उतर आई आता जाता रहा ख़याल तिरा नींद हरगिज़ न रात भर आई यूँ तो चेहरे थे सामने लाखों तेरी सूरत न फिर नज़र आई दिल तिरे प्यार से रहा महरूम शाम आई कभी सहर आई हम भी दे देंगे जान ऐ 'आलम' कुछ अगर उन के नाम पर आई