वक़्त से दिन और रात वक़्त से कल और आज By फ़िल्मी शेर, Ghazal << युंही दिल ने चाहा था रोना... तदबीर से बिगड़ी हुई तक़दी... >> वक़्त से दिन और रात वक़्त से कल और आज वक़्त की हर शय ग़ुलाम वक़्त का हर शय पे राज वक़्त की पाबंद हैं आती जाती रौनक़ें वक़्त है फूलों की सेज वक़्त है काँटों का ताज आदमी को चाहिए वक़्त से डर कर रहे कौन जाने किस घड़ी वक़्त का बदले मिज़ाज Share on: