वो आशिक़ है मगर मेरा नहीं है By Ghazal << इक बात पर बिगड़े गए न जो ... ज़िंदगी ज़िंदा है लेकिन क... >> वो आशिक़ है मगर मेरा नहीं है के उस के इश्क़ में नुक़्ता नहीं है हमें ख़ुद से मोहब्बत हो गई है हमारे घर में आईना नहीं है अभी से क्यूँ ये पलकें झुक रही हैं अभी हम ने उसे सोचा नहीं है अरे मजनूँ सलीक़े से जुनूँ कर ये तेरा पर्सनल सहरा नहीं है Share on: