वो करें जब भी बात फूलों की मुस्कुराए हयात फूलों की वस्ल की शब बदन के सहरा में आ रही है बरात फूलों की इश्क़ ख़ुशबू है दर-ब-दर ठहरा हुस्न है काएनात फूलों की इक तबस्सुम पे मुनहसिर ठहरी ज़िंदगी बे-सबात फूलों की ज़ुल्फ़ में फूल हाथ में मेहंदी सुब्ह फूलों की रात फूलों की हँसते हँसते ख़िज़ाँ ने पूछा है किस ने छेड़ी है बात फूलों की पत्ता पत्ता है अश्क-बार 'रज़ी' कैसी गुज़री है रात फूलों की