वो कौन है जो गली में कब से सिसक रहा है बुला के लाओ पुकारता भी नहीं किसी को झिझक रहा है बुला के लाओ वो शहर भर का चहीता पागल वो हँसते रहना है जिस की आदत वो आइने को रखे मुक़ाबिल बिलक रहा है बुला के लाओ वो लड़का जिस की ख़मोश आँखों में राज़ कितने छुपे हुए हैं जुनूँ में क्या क्या अजीब कलमात बक रहा है बुला के लाओ वो दर-हक़ीक़त है शाहज़ादा जो इक परी-रू पे मर-मिटा है फ़क़ीर का भेस ले के ईधर भटक रहा है बुला के लाओ वो एक ग़ुंचा-ए-गुल था पहले हुआ है क्या उस के साथ वो जो अब एक आतिश-कदे के जैसा धधक रहा है बुला के लाओ