वो किसी से कभी नहीं करता बात बे-मौसमी नहीं करता जिस का दिल सोज़-ए-ग़म से रौशन हो तीरगी तीरगी नहीं करता हर कोई इस जहान में साहिब बेबसी बेबसी नहीं करता जो वफ़ा को वफ़ा समझता है बात वो बे-रुख़ी नहीं करता मुश्किलों में रह के भी बा-हिम्मत आदमी ख़ुद-कुशी नहीं करता जिस के दिल में ख़याल-ए-उक़्बा हो ज़िंदगी ज़िंदगी नहीं करता वो जो 'इरफ़ान' कल मिला था मुझे इश्क़ में दिल-लगी नहीं करता