वो पहली सी मुझ पर इनायत नहीं है मुझे फिर भी तुम से शिकायत नहीं है उन्हें रहम करने की आदत नहीं है मिरी अश्क-रेज़ी की ख़सलत नहीं है नज़र से पिलाना ही काफ़ी है साक़ी मुझे जाम की अब ज़रूरत नहीं है गुज़रती है कैसे मिरी ज़िंदगानी ज़बाँ से कहो कैसे ताक़त नहीं है मुलाक़ात यूँ तो वो करते हैं मुझ से मगर वालिहाना मोहब्बत नहीं है मदद चाहिए सिर्फ़ हम को ख़ुदा की किसी ग़ैर की मुझ को हाजत नहीं है मुक़द्दर ने जब से किया दूर तुम से उसी वक़्त से दिल को राहत नहीं है ख़ुदा जाने गुलशन में क्या हो गया है वो पहली सी फूलों में रंगत नहीं है नज़र फेर कर इस तरह चल दिए वो कि 'राही' से जैसे मोहब्बत नहीं है