वो यूँ बूढे से बच्चा हो गया है की जैसे पेड़ पौधा हो गया है तरफ़-दारी बहुत करता है तेरी क़लम तेरा दीवाना हो गया है नज़र-अंदाज़ ऐसे कर गया वो की शीशा जैसे अंधा हो गया है चलो बाबा कोई पोशाक ले लो लिए कपड़े ज़माना हो गया है नहीं हैं प्यास के मा'नी कोई अब नदी का पानी मैला हो गया है