याँ हम को जिस ने मारा मालूम हो रहेगा महशर में ख़ूँ हमारा मालूम हो रहेगा गो फूल फूल कर अब तो देखती है बुलबुल गुलशन का पर नज़ारा मालूम हो रहेगा जब बहर-ए-ग़म में डूबा दे छोड़ दस्त-ओ-पा को आख़िर तुझे किनारा मालूम हो रहेगा ऐ सब्र दम-ब-दम अब दर्द-ओ-अलम फ़ुज़ूँ है जितना है दिल का यारा मालूम हो रहेगा ऐ आफ़्ताब-ए-महशर खोलूँ हूँ दाग़ दिल का चमका अगर ये तारा मालूम हो रहेगा सद-शेर आशिक़ों का होने लगा वफ़ूर अब सब हौसला तुम्हारा मालूम हो रहेगा नक़्श-ए-क़दम से आख़िर तेरी गली में प्यारे जिस का हुआ गुज़ारा मालूम हो रहेगा अफ़सोस राज़ दिल का जासूस सुन गए हैं क़िस्सा अब उस को सारा मालूम हो रहेगा पोशीदा गो है तुझ पर अहवाल मेरे दिल का है ये तो आश्कारा मालूम हो रहेगा नाचार कू-ब-कू अब तहक़ीक़ करने फिरिए कुछ दर्द-ए-दिल का चारा मालूम हो रहेगा पिन्हाँ है अब तो लेकिन मरने के ब'अद 'जुरअत' दर्द-ए-दरूँ हमारा मालूम हो रहेगा