याद आई है तिरी सख़्त मक़ाम आया है दिल के सहरा में ये वक़्त-ए-सर-ए-शाम आया है इक नए रंग में आज उन का पयाम आया है आरज़ुओं के लिए नाम-ब-नाम आया है जाँ-ब-लब शौक़ के सज्दे भी तड़प उठे हैं उन के अंदाज़-ए-तग़ाफ़ुल को सलाम आया है मेरे ग़म-ख़ाना के अंदोह ख़मोशी का हरीफ़ कैसी बेगाना मिज़ाजी का कलाम आया है हिल रही है मिरे ज़िंदान-ए-जुनूँ की दीवार फिर तसव्वुर में तिरा जल्वा-ए-बाम आया है अंजुमन-साज़ है ये राज़-ए-मोहब्बत ऐ दोस्त ज़िक्र जब आया तिरा बर-सर-ए-आम आया है दिल-ए-बेताब की हसरत ने बिखेरे सज्दे मज्लिस-ए-ग़ैर में भी तेरा जो नाम आया है चश्म-ए-साक़ी में झलकती है मिरी लग़्ज़िश-ए-शौक़ काँपते हाथ से लब तक अभी जाम आया है अक़्ल को जोश-ए-जुनूँ दार-ओ-रसन तक लाया अक़्ल वालों के कभी होश भी काम आया है तेरी सरकार में 'अख़्तर' की दुआएँ गिर्यां दिल का कश्कोल लिए तेरा ग़ुलाम आया है