क़रीब आ के भी कोई कहे नहीं मिलना सभी से हाथ मिलाना गले नहीं मिलना तुम्हारे छोड़ के जाने से मैं ने सीखा है जो ढेर शौक़ से आए उसे नहीं मिलना तेरे बग़ैर गुज़रते हुए दिनों की क़सम ये दिन गुज़र भी गए तो तुझे नहीं मिलना ज़रा सी देर में इंसान सीख जाता है कि किस से दूरी भली है किसे नहीं मिलना महल में गूँजी है आवाज़ शाहज़ादे की गले लगाओ मुझे फिर समय नहीं मिलना