याद करना मुहाल लगता है हाफ़िज़े का कमाल लगता है गर्म हाथों से आँच आती है सर्दियों की वो शाल लगता है वक़्त हो दोस्त या कोई पल हो जो भी गुज़रा कमाल लगता है हब्स इतना है मेरी मिट्टी में साँस लेना मुहाल लगता है हिज्र बरसा है आँख से जब भी मुझ को भादों का हाल लगता है कौन देखेगा हाथ पर क़िस्मत बस लकीरों का जाल लगता है मौसम-ए-इश्क़ आ गया है क्या दस्तकों का धमाल लगता है बद-गुमानी है उस की आँखों में दिल के शीशे में बाल लगता है