याद महकी जो उन की सबा की तरह ग़ंचा-ए-ज़ख़्म चटके दु’आ की तरह मेरे हमराह है यक ग़म-ए-दो-जहाँ मैं अज़ल से हूँ तन्हा ख़ुदा की तरह वक़्त की चिलचिलाती हुई धूप में ज़िंदगी जल रही है चिता की तरह मेरी हस्ती का मफ़्हूम कुछ भी नहीं दहर में मैं हूँ हर्फ़-ए-वफ़ा की तरह वक़्त का तेज़-रौ क़ाफ़िला चल दिया मैं पड़ा रह गया नक़्श-ए-पा की तरह