याद उसे इंतिहाई करते हैं सो हम उस की बुराई करते हैं पसंद आता है दिल से यूसुफ़ को वो जो यूसुफ़ के भाई करते हैं है बदन ख़्वाब-ए-वस्ल का दंगल आओ ज़ोर-आज़माई करते हैं उस को और ग़ैर को ख़बर ही नहीं हम लगाई बुझाई करते हैं हम अजब हैं कि उस की बाँहों में शिकवा-ए-नारसाई करते हैं हालत-ए-वस्ल में भी हम दोनों लम्हा लम्हा जुदाई करते हैं आप जो मेरी जाँ हैं मैं दिल हूँ मुझ से कैसे जुदाई करते हैं बा-वफ़ा एक दूसरे से मियाँ हर-नफ़स बेवफ़ाई करते हैं जो हैं सरहद के पार से आए वो बहुत ख़ुद-सताई करते हैं पल क़यामत के सूद-ख़्वार हैं 'जौन' ये अबद की कमाई करते हैं