याद उस की मुझे दिलाते हो आग बारूत में लगाते हो दिल जुदाई की आग ने फूँका अश्क पस तुम बुझाने जाते हो मेरा बे-यार जीवना मालूम ऐ दम अब क्यों तुम आते-जाते हो हाथ को गो छुटा चले क्या ग़म दिल से जाओ तो जानूँ जाते हो कर 'अली' पर नज़र तरह्हुम की उस पे क्या ख़ल्क़ को हँसाते हो