यही तो वक़्त है दिल लेने का लगाने का शबाब फिर नहीं ऐ दोस्त जा के आने का न आए इस पे सितम देखिए बहाने का ये अब्र-ओ-बाद बहाना हुआ न आने का लतीफ़-ओ-नर्म-ओ-सुबुक हूँ नसीम की मानिंद बुरा न माने कोई मेरे आने जाने का मिरे शबाब को या-रब फ़साना होना था कहाँ वो हुस्न कि उनवाँ हो इस फ़साने का मज़े से शैख़ जी अंगूर खाए जाते हैं हिसाब होगा किसी रोज़ दाने दाने का खड़े हैं देर से मस्जिद के सामने 'मोहसिन' ज़रूर भूले हैं रस्ता शराब-ख़ाने का