यक़ीन शर्त है और लाज़मी हैं तदबीरें हर एक लम्हा बदलती रहेंगी तक़दीरें सभी चराग़ बुझा दो हुआ है दिल रौशन दिखाई देने लगी हैं तमाम तहरीरें ज़रा सा वक़्त लगेगा क़दम उठाने में अभी अभी तो कटी हैं सक़ील ज़ंजीरें वो ख़्वाब कुछ भी नहीं हैं फ़क़त तमाशा हैं वो ख़्वाब जिन की नहीं जानता मैं ता'बीरें मिरे क़लम का सफ़र ले गया सितारों तक मिरे बुज़ुर्ग की अब भी वही हैं तहरीरें हमारी जंग में 'जावेद' ख़ूँ नहीं बहता हमारे पास हैं फ़िक्र-ओ-नज़र की शमशीरें