यकुम जनवरी है नया साल है दिसम्बर में पूछूँगा क्या हाल है बचाए ख़ुदा शर की ज़द से उसे बेचारा बहुत नेक-आमाल है बताने लगा रात बूढ़ा फ़क़ीर ये दुनिया हमेशा से कंगाल है है दरिया में कच्चा घड़ा सोहनी किनारे पे गुम-सुम महिवाल है मैं रहता हूँ हर शाम शिकवा-ब-लब मिरे पास दीवान-ए-'इक़बाल' है