यक़ीं तक आएगा इक दिन गुमाँ ग़लत था मैं मुझे लगा था छंटेगा धुआँ ग़लत था मैं मिरी तड़प पे भी आँखों में तेरी अश्क न थे मुझे यक़ीन हुआ तब कि हाँ ग़लत था मैं नज़र में अक्स तिरा दिल में तेरा दर्द लिए मैं कब से सोच रहा हूँ कहाँ ग़लत था मैं लगा था अश्कों से धुल जाएँगे मलाल के दाग़ मगर हैं दिल पे अभी तक निशाँ ग़लत था मैं मिरा जुनून था क़ुर्बत के रत-जगे लेकिन मिरा नसीब है तन्हाइयाँ ग़लत था मैं