यक़ीनन कोई गहरा राब्ता है वो जो मुड़ मुड़ के मुझ को देखता है निकल कर जा नहीं सकता कहीं भी रग-ओ-पै में वो मेरी घूमता है है कौन अपना पराया इस जहाँ में परखने से ये अंदाज़ा हुआ है हवा से ख़ुश्क पत्ते नग़्मा-ज़न थे तिरी आहट का धोका हो गया है मुक़द्दर का हम अपने खा रहे हैं किसी का रिज़्क़ कब छीना हुआ है मुझे मुर्दा न समझो ग़ाफ़िलो तुम रगों में ख़ून मेरी दौड़ता है बताता है मिरा रहबर उसी को जो रस्ता ख़ुद मिरा देखा हुआ है किया हाबील ने क़ाबील का ख़ूँ यही दुनिया में पहला सानेहा है मिटाता है वो मेरा नाम लिख कर कि जैसे उँगलियों से खेलता है मुझे मुजरिम कहा है 'यास' उस ने बताए वो कि ऐसा क्या किया है