यक़ीनन रास्ता हक़ पर नही है कोई पत्थर कोई ठोकर नही है मोहब्बत का सफ़र बेहतर नही है अगर आशिक़ चला दिन भर नही है त'अल्लुक़ टूट जाने का है ख़तरा मगर दीवार में इक दर नही है किसे रूदाद अपनी हम सुनाएँ किसी का हाल अब बेहतर नही है मोहब्बत ने इसे परवाज़ दी है हमारी शाइ'री बे-पर नही है कहाँ रक्खूँ शिकस्ता दिल के टुकड़े बरेली में अजाइब-घर नही है सभी दुश्मन भले हैं दोस्तों से किसी के हाथ में नश्तर नही है सड़क पर आ गए हैं सारे आशिक़ नगर में बादशाह अकबर नही है