आप अपना निशाँ नहीं मा'लूम लुट गए हम कहाँ नहीं मा'लूम ले चला है जुनून-ए-शौक़ किधर होगी मंज़िल कहाँ नहीं मा'लूम दौड़ता हूँ ग़ुबार के पीछे है कहाँ कारवाँ नहीं मालूम झुक गया सर-बसद ख़ुलूस-ओ-नियाज़ किस का है आस्ताँ नहीं मा'लूम एक हलचल है ख़ाना-ए-दिल में कौन है मेहमाँ नहीं मा'लूम बर्क़ चमकी थी एक बार यहाँ क्या हुआ आशियाँ नहीं मा'लूम जाने किस के ख़याल में 'आसी' हो गए गुम कहाँ नहीं मा'लूम