यार तुझ को मिरा ख़याल तो है इश्क़ में इतनी देख-भाल तो है ग़म नहीं गर ख़ुशी नहीं हासिल फ़ुर्क़त-ए-दोस्त का मलाल तो है तुझ पे गुज़री है क्या ख़बर है मुझे तेरे जैसा ही मेरा हाल तो है मेरा हामी जहाँ नहीं तो क्या शुक्र है रब्ब-ए-ज़ुल-जलाल तो है है अगर ज़ो'म-ए-बरतरी तुम को ये भी इक सूरत-ए-ज़वाल तो है मेरे पहलू में तू नहीं न सही मेरे शाने पे तेरी शाल तो है ज़िंदगी में यही तमन्ना थी दम-ए-आख़िर तिरा विसाल तो है उस की तमसील ही नहीं है 'असद' मेरा महबूब बे-मिसाल तो है