यार तुझ से जुदा नहीं होता तू अगर बेवफ़ा नहीं होता चश्म-ए-साक़ी अगर नहीं होते ज़िंदगी में मज़ा नहीं होता अब तो सुन लो हमारी फ़रियादें काम तुमरे बिना नहीं होता मैं ने देखा है आप का चेहरा कैसे कह दूँ ख़ुदा नहीं होता हुस्न उन का तो नूर जैसा है हर किसी को अता नहीं होता गर तुम्हारी अना नहीं होती दरमियाँ फ़ासला नहीं होता बे-सबब दूरियाँ बढ़ाने से प्यार का हक़ अदा नहीं होता