या-रब ये कैसा आज का इंसान हो गया तख़्लीक़ कर के तू भी पशेमान हो गया मौसम बहार का था ख़िज़ाँ जल्द आ गई हँसता हुआ चमन मिरा वीरान हो गया लूटा है जिस ने शहर के सब्र-ओ-क़रार को वो शख़्स मेरे शहर का प्रधान हो गया ऐसे नए चलन की चलीं आँधियाँ यहाँ इंसान अपनी ज़ात में हैवान हो गया चाहा था मैं ने दिल से कभी तुझ को टूट कर वो हादिसा हयात का उन्वान हो गया थीं ज़िंदगी की राह में दुश्वारियाँ बहुत मरना किसी के इश्क़ में आसान हो गया इतना हसीन है मिरे 'गुलशन' का बाँकपन हर गुल मिरी निगाह में ज़ीशान हो गया