ये आह-ओ-फ़ुग़ाँ क्यूँ है दिल-ए-ज़ार के आगे कहते हैं कि रोते नहीं बीमार के आगे फिर मौत का है सामना अल्लाह बचाए फिर दिल लिए जाता है सितमगर के आगे बिकने के लिए आप न बाज़ार में आए भिजवा दिया यूसुफ़ को ख़रीदार के आगे मुनइम को मुबारक ये नक़ीब और जिलौ-दार अल्लाह ही अल्लाह है नादार के आगे ज़िद करते हो क्यूँ तीर न पहुँचेंगे हदफ़ तक अरमान हज़ारों हैं दिल-ए-ज़ार के आगे सरगर्म-ए-सुख़न हूँ दिल-ए-वारफ़्ता से इस तरह जैसे कोई बातें करे दीवार के आगे