ये आँख नम थी ज़बाँ पर मगर सवाल न था हम अपनी ज़ात में गुम थे कोई ख़याल न था सजा लिया है हथेली पे हम ने उस का नाम इस लिए तो बिछड़ जाने का मलाल न था अगरचे मो'तबर ठहरे थे हम ज़माने में हमारे पास तो ऐसा कोई कमाल न था उसी के साथ थे हम उस से बे-ख़बर रह कर अगरचे राब्ता उस से कोई बहाल न था तिरे ही नाम पे ये ज़िंदगी कटी सारी अगरचे तेरा कभी भी हमें विसाल न था