ये बन-सँवर के मिरी सादगी में लौट आए मिरे ख़याल मिरी शाइ'री में लौट आए उसे कहो कि मिरी ज़ात अब भी बाक़ी है दिया बुझा दे मिरी रौशनी में लौट आए वो जिस तरह से परिंदे शजर पे लौटते हैं हम अपने आप से निकले तुझी में लौट आए जो मैं हँसूँ तो मिरा अश्क बन के वो छलके किसी तरह से वो मेरी हँसी में लौट आए ख़ुशी मिली भी तो हम को कभी न रास आई उदासियों के सबब इस ख़ुशी में लौट आए फिसलती रेत सा हाथों से गिर गया था जो वो गुज़रा वक़्त कभी फिर घड़ी में लौट आए हमें तो एक ही चेहरे का काम होता है हटा के भीड़ को हम फिर उसी में लौट आए बड़े ग़ुरूर से निकले थे अलविदा'अ कह कर बस एक बार पुकारा गली में लौट आए