ये बता मुझे तेरा हम-सफ़र नहीं है क्या कोई भी ज़माने में मो'तबर नहीं है क्या चंद रोज़ रहना है फिर यहाँ से जाना है ज़िंदगी तो है लेकिन मुख़्तसर नहीं है क्या जो हमारी चौखट पर आज तक नहीं बैठा ये बताइए हम को दर-ब-दर नहीं है क्या मत सुनाओ तुम उस को हाल-ए-दिल मिरा कोई वो मिरी मोहब्बत से बा-ख़बर नहीं है क्या उस परी के सीने में दिल नहीं है पत्थर है मेरी हर सदा-ए-दिल बे-असर नहीं है क्या इश्क़ का है गर दावा ले के आ हथेली पर सर-बुलंद होने को तेरा सर नहीं है क्या दिल को देने वालों से पोछिए शरर 'नक़वी' प्यार-व्यार ये सब कुछ दर्द-ए-सर नहीं है क्या