ये चमक धूल में तहलील भी हो सकती है काएनात इक नई तश्कील भी हो सकती है तुम न समझोगे कोई और समझ लेगा इसे ख़ामुशी दर्द की तर्सील भी हो सकती है कुछ सँभल कर रहो उन सादा मुलाक़ातों में दोस्ती इश्क़ में तब्दील भी हो सकती है मैं अधूरा हूँ मगर ख़ुद को अधूरा न समझ मुझ से मिल कर तिरी तकमील भी हो सकती है काटना रात का आसान भी हो सकता है दिल में इक याद की क़िंदील भी हो सकती है इस क़दर भी न बढ़ो दामन-ए-दिल की जानिब ये मोहब्बत कोई तमसील भी हो सकती है हाँ दिल-ओ-जान फ़िदा कर्दा 'ज़हीर' उस पे मगर ये भी इम्कान है तज़लील भी हो सकती है