ये चंद लोग हमारे हैं सब हमारे नहीं चमक रहे हैं ये जितने सभी सितारे नहीं न-जाने जलते हैं क्यों हम से ये जहाँ वाले हमारे पास तो अशआर हैं शरारे नहीं वो मुस्कुराता है इस वास्ते तवातुर से कि उस ने मेरी तरह दिन अभी गुज़ारे नहीं कुछ इस लिए भी हम ऐसों को मौत का डर है हमारे सर हैं कई क़र्ज़ जो उतारे नहीं नसीब कैसे सँवारेंगे हम से ख़ाना-ब-दोश जिन्हों ने बाल भी अपने कभी सँवारे नहीं मैं शहसवार हूँ ऊँची मुहीब लहरों का भँवर लुभाते रहेंगे मुझे किनारे नहीं