ये चाँद सितारों की ज़िया कम तो नहीं है जलता हुआ हर सम्त दिया कम तो नहीं है मैं क्यों करूँ अस्बाब ओ मुक़द्दर पे भरोसा मेरे लिए इक नाम-ए-ख़ुदा कम तो नहीं है पैसों से तो लेते हैं फ़क़ीरों की दुआएँ ये अपने बुज़ुर्गों की दुआ कम तो नहीं है मग़रिब की फ़ुसूँ-साज़ हवाओं से ग़रज़ क्या मशरिक़ में मिरी बाद-ए-सबा कम तो नहीं है क्यों हाथ मिरे ख़ून से रंगते हो तुम अपने सुर्ख़ी के लिए रंग-ए-हिना कम तो नहीं है करते हैं 'जमील' आप जो मरने की तमन्ना इस दह्र में जीने का मज़ा कम तो नहीं है