ये दिल है तो आफ़त में पड़ते रहेंगे यूँ ही एड़ियाँ हम रगड़ते रहेंगे मोहब्बत है बद-नाम क्यूँ कर बनेगी वो हम से हमेशा बिगड़ते रहेंगे अगर इश्क़ रखता है तो अक़्ल खो दे ये दोनों रहेंगे तो लड़ते रहेंगे बुरे दिन बुरी साअ'तें इश्क़ में हैं सब अहबाब हम से बिछड़ते रहेंगे वो सर काट डालें हमारा तो क्या ग़म ग़रज़ ऐसे ही पाँव पड़ते रहेंगे कहीं आशिक़ों का ठिकाना नहीं है ज़माने में बस्ती उजड़ते रहेंगे जुनूँ ने तमाशा बनाया है हम को दरीचों के पर्दे उधड़ते रहेंगे कभी ज़ुल्फ़ से हो सकेंगे न सर-बर इसी पेच से हम पिछड़ते रहेंगे न ख़त भेजना हम से मौक़ूफ़ होगा कबूतर की शह पर उखड़ते रहेंगे जो कुछ हम ने चाहा उन्हों ने न चाहा हम इस मसअले में झगड़ते रहेंगे ग़म-ओ-दर्द ज़ेवर है हम आशिक़ों का नगीं दाग़ के दिल में जड़ते रहेंगे क़दम मय-कदे से न निकलेगा बाहर यहीं नश्शे में गिरते-पड़ते रहेंगे जुदाई में ऐ 'बहर' मरना भला है जिएँगे तो ख़िफ़्फ़त से गड़ते रहेंगे