ये दिल मचल गया तो हमारा बनेगा क्या सूरज पिघल गया तो हमारा बनेगा क्या इस दिल में ले के बैठे हैं कब से तुम्हारी याद ये दिल ही जल गया तो हमारा बनेगा क्या उलझाव आ गया है मुरव्वत की डोर में इस का न बल गया तो हमारा बनेगा क्या इस ज़िंदगी की क़द्र तो बस एक पल लगी गर ये भी पल गया तो हमारा बनेगा क्या तुक्का लगा कि हम ने जो इज़्ज़त बचाई थी गर तीर चल गया तो हमारा बनेगा क्या रोका हुआ है हम ने अभी दिल में इश्क़ को ये जिन निकल गया तो हमारा बनेगा क्या 'अहमद' न सोच कुछ कि ज़माना है बेवफ़ा ये दिन बदल गया तो हमारा बनेगा क्या