ये इक शान-ए-ख़ुदा है मैं नहीं हूँ वही जल्वा-नुमा है मैं नहीं हूँ ज़माना पहले मुझ को ढूँडता है मगर तेरा पता है मैं नहीं हूँ तिरे होते मिरी हस्ती का क्या ज़िक्र यही कहना बजा है मैं नहीं हूँ सदा-ए-नहनो-अक़रब कह रही है कि तू मुझ से जुदा है मैं नहीं हूँ वो ख़ुद तशरीफ़-फ़रमा-ए-जहाँ हैं तुम्हें धोका हुआ है मैं नहीं हूँ कहाँ मैं और कहाँ ख़ब्त-ए-अनल-हक़ कोई मेरे सिवा है मैं नहीं हूँ मुझे 'आज़ाद' दुनिया क्यूँ न पूजे किसी का नक़्श-ए-पा है मैं नहीं हूँ