डरा डरा के वो मुझ को बाग़ी बना रहा है हुकूमतों के लिए तबाही बना रहा है जवाँ दिलों पर ग़मों के ताले लगे हुए हैं और इक वो बूढ़ा ख़ुशी की चाबी बना रहा है सभी के हाथों में फ़ोन है पर क़लम नहीं है उमीद ले कर कोई सियाही बना रहा है तिरी मोहब्बत से पहले डरपोक शहरी था मैं तिरा नशा तो मुझे सिपाही बना रहा है मैं उस का राजा हूँ बचपने से पर उस का अब्बा उसे फ़क़ीरों के घर की रानी बना रहा है ख़बर है फैली कि तुझ को मॉडल है भाते तब से हर एक बच्चा नगर में बॉडी बना रहा है तू उस की आँखों को देख कर ही समझ ले 'जव्वाद' वो सच छुपा कर फ़क़त कहानी बना रहा है